Wednesday, March 12, 2025
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Holika Dahan 2025 Date: 13 या 14 मार्च, कब है होलिका दहन? जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त

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Holika Dahan 2025 Date:होली का त्योहार भारत के सबसे प्रमुख और प्राचीन त्योहारों में से एक है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। होली का उत्सव दो दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन रंगों से खेला जाता है। होलिका दहन को होलिका दहन पूजा के रूप में भी जाना जाता है। इस लेख में हम होलिका दहन पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानेंगे।

होलिका दहन का महत्व

होलिका दहन का त्योहार हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। इस कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस राजा था जो खुद को भगवान मानता था। उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ने के लिए कई बार प्रयास किए, लेकिन वह असफल रहा। अंत में, उसने अपनी बहन होलिका की मदद ली। होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जल सकती। हिरण्यकश्यप ने होलिका को प्रह्लाद के साथ आग में बैठने का आदेश दिया। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर भस्म हो गई। इस घटना को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है।

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Holika Dahan 2025 Date

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि की शुरुआत 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगा। ऐसे में होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा और 14 मार्च को होली मनाई जाएगी। इस बार होली पर भद्रा का साया रहेगा। भद्रा में शुभ और मांगलिक करने से वह काम सफल नहीं होते हैं।

होलिका दहन पूजा विधि

होलिका दहन पूजा एक विशेष विधि के अनुसार की जाती है। यह पूजा होलिका दहन के दिन शाम को की जाती है। नीचे होलिका दहन पूजा की विधि दी गई है:

1. होलिका दहन की तैयारी

होलिका दहन के लिए पहले से ही लकड़ी, उपले, और अन्य जलने वाली सामग्री इकट्ठा की जाती है। इन सामग्रियों को एक स्थान पर इकट्ठा करके होलिका की प्रतिमा बनाई जाती है। होलिका की प्रतिमा के पास प्रह्लाद की एक छोटी सी मूर्ति भी रखी जाती है।

2. होलिका दहन पूजा का समय

होलिका दहन पूजा शाम के समय की जाती है। इस दिन पूर्णिमा तिथि होती है और होलिका दहन पूर्णिमा तिथि के दिन ही किया जाता है। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखा जाता है।

3. पूजा सामग्री

होलिका दहन पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • रोली
  • चावल
  • फूल
  • गंध
  • अक्षत
  • नारियल
  • मिठाई
  • गुड़
  • सुपारी
  • कुमकुम
  • दीपक
  • धूप
  • कपूर
  • गंगाजल

4. पूजा विधि

  1. सबसे पहले होलिका की प्रतिमा के सामने एक चौकी रखी जाती है और उस पर पूजा की सामग्री रखी जाती है।
  2. फिर होलिका की प्रतिमा को रोली, चावल, फूल, और कुमकुम से सजाया जाता है।
  3. इसके बाद होलिका की प्रतिमा के सामने दीपक जलाया जाता है और धूप दी जाती है।
  4. फिर होलिका की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है।
  5. इसके बाद होलिका की प्रतिमा की पूजा की जाती है और मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
  6. पूजा के बाद होलिका की प्रतिमा के चारों ओर परिक्रमा की जाती है।
  7. अंत में होलिका की प्रतिमा को आग लगा दी जाती है और होलिका दहन किया जाता है।
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होलिका दहन मंत्र

होलिका दहन पूजा के दौरान कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। ये मंत्र होलिका दहन के महत्व को बढ़ाते हैं और पूजा को पूर्णता प्रदान करते हैं। नीचे कुछ प्रमुख मंत्र दिए गए हैं:

1. होलिका दहन मंत्र

“अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः।
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्॥”

2. प्रह्लाद मंत्र

“प्रह्लादस्य चरित्रं तु श्रुत्वा मुच्यते सर्वदा।
भक्तिमान् जायते नित्यं सर्वपापैः प्रमुच्यते॥”

3. होलिका दहन आरती

“जय होलिका माता, जय होलिका माता।
प्रह्लाद के संग तुमने, आग में स्थान पाया॥
जय होलिका माता, जय होलिका माता।”

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। होलिका दहन पूर्णिमा तिथि के दिन किया जाता है और इस दिन शुभ मुहूर्त का ध्यान रखा जाता है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त निम्नलिखित तरीके से निर्धारित किया जाता है:

  1. पूर्णिमा तिथि: होलिका दहन पूर्णिमा तिथि के दिन किया जाता है। यह तिथि फाल्गुन मास की पूर्णिमा होती है।
  2. भद्रा का समय: होलिका दहन के लिए भद्रा का समय शुभ नहीं माना जाता है। भद्रा के समय में होलिका दहन नहीं किया जाता है।
  3. शुभ मुहूर्त: होलिका दहन का शुभ मुहूर्त पूर्णिमा तिथि के दिन शाम को निकाला जाता है। इस समय होलिका दहन किया जाता है।

होलिका दहन के बाद की रस्में

होलिका दहन के बाद कुछ विशेष रस्में की जाती हैं। इन रस्मों का भी विशेष महत्व होता है। नीचे कुछ प्रमुख रस्में दी गई हैं:

  1. होलिका की राख: होलिका दहन के बाद उसकी राख को शुभ माना जाता है। इस राख को घर ले जाकर तिलक लगाया जाता है।
  2. नई फसल की पूजा: होलिका दहन के बाद नई फसल की पूजा की जाती है। इस दिन गेहूं, चना, और अन्य अनाज की पूजा की जाती है।
  3. प्रसाद वितरण: होलिका दहन के बाद प्रसाद वितरित किया जाता है। इस प्रसाद में मिठाई, गुड़, और नारियल शामिल होते हैं।
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निष्कर्ष

होलिका दहन पूजा होली के त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होलिका दहन पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त का ध्यान रखकर इस पूजा को पूर्णता के साथ किया जा सकता है। होलिका दहन के बाद की रस्में भी इस त्योहार को और भी खास बनाती हैं। होली का त्योहार खुशियों और उत्साह का प्रतीक है और होलिका दहन पूजा इस त्योहार की शुरुआत करती है।

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